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Tanha raah ka raahi

अबकी दफ़ा वो इश्क़ के हाल में है,
जो  शबो-रोज़ वो मेरे ख़्याल में है!

इतना हैरत ज़दा मेरा जवाब नही,
जितनी हैरानी मुझे तेरे सवाल में है!

वो छोड़ गया मुझे तबसे लगता है,
ज़िंदगी जीना भी जैसे मुहाल में है!

सिहर जाता हूँ मैं अगर सोचूँ भी,
के किसकी उंगलियां उसके बाल में है!

हक़ देखिए की परिंदों आज़ाद है तो,
इस दफ़ा सारी इंसानियत जाल में है!

इसी ख़्याल से 'तनहा' परेशां हूँ मैं,
क्या ख़्याल आखिर उसके ख़्याल में है!

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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3 Comments

Fareha Sameen

18-May-2022 12:19 PM

Very nice

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Swati chourasia

16-May-2022 04:16 PM

बहुत खूब 👌

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Reyaan

16-May-2022 04:12 PM

Very nice 👍🏼

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